Shiv Chalisa PDF in Hindi with Meaning | शिव चालीसा हिंदी अर्थ सहित डाउनलोड करें

शिव चालीसा PDF हिंदी में अर्थ सहित डाउनलोड करें

अगर आप भगवान शिव के परम भक्त हैं और प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करते हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी है। यहां हम आपको शिव चालीसा हिंदी में अर्थ सहित PDF डाउनलोड करने का विकल्प दे रहे हैं, जिससे आप इसका गहराई से अध्ययन कर सकें और शिव जी की कृपा प्राप्त कर सकें।

शिव चालीसा क्या है?

शिव चालीसा एक 40 पंक्तियों का स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। इसका पाठ करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। यह चालीसा तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई है और हिन्दू धर्म में इसका विशेष स्थान है।

शिव चालीसा पढ़ने के लाभ:

  1. मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति
  2. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
  3. रोग और संकटों से रक्षा
  4. मनोकामनाओं की पूर्ति
  5. आध्यात्मिक उन्नति

Shiv Chalisa PDF in Hindi with Meaning 

॥ श्री शिव चालीसा ॥

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

चौपाइयाँ

1. जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥


2. भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥


3. अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये॥


4. व्रशव वाहन सोहत नीका।
दामिनि अंग गले में टीका॥


5. पीनकधारी मुण्डमाल धारी।
त्रिशूल धारी अति भयकारी॥


6. कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
सदा द्विजों के प्रतिपारी॥


7. नंदि गणेश सोहै तहं कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥


8. कार्तिक श्याम और गणराऊ।
याम रूप दिखावत भौंराऊ॥


9. रवी शशि कोटि तेज विभूषित।
ताहि रूप न जाति है देखित॥


10. महामृत्युंजय नाम तुम्हारा।
जपत सुति होय उद्धारा॥


11. अकथ अगोचर रूप तुम्हारा।
जापत लगे ध्यान मन सारा॥


12. जग में सुख देने वाला।
दुख हरता हर रूप निराला॥


13. काशी में तुम विश्वनाथ कहाए।
सदा भक्तों के संकट नाशाए॥


14. त्रिपुरासुर संहार किए तुम्ही।
भस्मासुर को मार दिए तुम्ही॥


15. अंधकासुर को मार गिराया।
भूत प्रेत सब दूर भगाया॥


16. शरण पड़े जो तुम्हरी।
ता पर संकट नहिं परिहरी॥


17. जय जय जय शम्भू भगवाना।
करहु कृपा मुझ पर दीनाना॥


18. त्राहि त्राहि मैं शरण तुम्हारी।
करहु कृपा अभिलाषा हमारी॥


19. मात-पिता तुम मेरे केवल।
नहीं और आस विश्वास बल॥


20. तन मन धन सब कुछ तेरा।
स्वामी राखो नाम घनेरा॥


21. मैं मूरख खल कामी पापी।
मोह ग्रसित सदा अस्वाभी॥


22. प्रबुध्द मोहि दया करि संगा।
हरहु नाथ मम अघ बहु भंगा॥


23. करहु कृपा तन, मन, धन, में।
रखो नाथ सदा सन्मन में॥


24. शिव दया कर जो यह गावे।
कह अयोध्यादास सुख पावे॥


25. अन्त समय में शिवपुर जाई।
मोक्ष मिले भवसागर ताई॥


26. जो शिव चालीसा पाठ करेगा।
वह भवसागर से पार करेगा॥


27. शिव ही एक अधिष्ठान हैं।
भव-सागर के वे त्राण हैं॥


28. इसको पढ़े, सुने मन लाई।
शिव कृपा से मुक्ति उपजाई॥


29. शंभू की सेवा में जो रत।
वह भवसागर से हो भवगत॥


30. एकादश रुद्र जप करे जो।
कष्ट मिटे, सुख सब फले जो॥


31. जो जन नित करे ध्यान तुम्हारा।
काल फंद ते छूटे सारा॥


32. जो भी ले नाम तुम्हारा।
सिद्धि पावे, क्लेश न निवारा॥


33. ध्यान धरै जो शिव का प्यारा।
सदा रहे संकट से न्यारा॥


34. पार्वती सहित जो तुम्हें ध्यावे।
सकल मनोरथ सिद्धि पावे॥


35. रिद्धि-सिद्धि दाता शिव है।
भवभय हारक त्रिपुरारी शिव है॥


36. नित्य नेम से पाठ जो करे।
शिव सदा उसके संग बसे॥


37. रचना को जो ध्यान से पढ़े।
शिव कृपा से सब काज सधे॥


38. घर में रहे सुख संपत्ति अपार।
कभी न हो संकट की मार॥


39. पुत्र प्राप्ति हो वांछित भाव।
विवाह हो, मिले सुख-सांव॥


40. अयोध्यादास शिव चालीसा कहि।
भव सागर से पार लही॥



॥ दोहा ॥
जो यह पढ़े शिव चालीसा, होय सिद्धि सकल।
भूत पिशाच निकट न आवे, महाकाल का बल॥



शिव चालीसा चौपाई और उनका अर्थ

1. जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
हे पार्वती पति शिवजी! आप दीन-दुखियों पर दया करते हैं और सदा संतों की रक्षा करते हैं।

2. भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
आपके माथे पर चंद्रमा शोभा दे रहा है, और कानों में नागफनी के सुंदर कुंडल सुशोभित हैं।

3. अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये॥
आपका शरीर गौर वर्ण का है, सिर पर गंगा बह रही है, आपने शरीर पर भस्म लगा रखी है और गले में मुण्डों की माला पहनी है।

4. वृषभ वाहन सोहत नीका।
दामिनि अंग गले में टीका॥
आपका वाहन नंदी बैल अत्यंत सुंदर लगता है, और आपके शरीर की आभा बिजली के समान चमक रही है।

5. पिंगल जटा अटावन धारी।
त्रिनयन धारी त्रिपुरारी॥
आप पिंगल (लाल-भूरे) रंग की जटाएं धारण करते हैं, त्रिनेत्रधारी और त्रिपुरासुर के संहारक हैं।

6. भस्मांगि शरीर भल लागे।
कनक विलोचन पूर्ण बिरागे॥
आपका भस्म से लिप्त शरीर बहुत सुशोभित लगता है, आपके नेत्र सोने जैसे चमकते हैं और आप वैराग्य से पूर्ण हैं।

7. पावक सदृश वरण जयकारी।
सदा बसत हिमाचल वारी॥
आपका रंग अग्नि के समान है और आप सदैव कैलाश पर्वत (हिमाचल) पर निवास करते हैं।

8. नन्दि गणेश सोहे तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
आपके साथ नंदी और गणेश ऐसे शोभायमान होते हैं जैसे समुद्र में कमल खिलता है।

9. कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
कार्तिकेय और गणेश जी दोनों की सुंदरता इतनी अद्वितीय है कि उसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।

10. देव दनुज जब विनय सुनावें।
तब ही विपति निकट नहिं आवें॥
जब देवता और दानव आपकी स्तुति करते हैं, तब उनकी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं।
11. प्रेत निकट नहीं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥
जो आपके नाम का जाप करता है, उसके पास कोई भी बुरी आत्मा नहीं आ सकती।

12. यम के दूत उसे नहिं घेरे।
महाकाल जब रक्षा करे॥
जिसकी रक्षा महाकाल करते हैं, उसे यमराज के दूत भी नहीं छू सकते।

13. भक्त बिपति से छूटि जावै।
मन इच्छित फल पावै॥
आपके भक्त सभी संकटों से मुक्त होते हैं और उन्हें मनचाहा फल प्राप्त होता है।

14. पूजै तुम्हें कोई नर मन लाई।
ता पर संकट कभी न आई॥
जो मन लगाकर आपकी पूजा करता है, उस पर कभी कोई संकट नहीं आता।

15. ऋणमुक्त हो जो नाम तुम्हारो।
भव सागर तरै संसारो॥
जो भी आपका नाम लेता है वह कर्ज से मुक्त होता है और भवसागर को पार कर जाता है।

16. जन्म-मरण का भय मिट जाए।
सदा शिवधाम में वास पावै॥
आपकी कृपा से जन्म-मरण का चक्र समाप्त होता है और भक्त को शिवलोक की प्राप्ति होती है।

17. जो शिव चालीसा पढ़ै चित्त लगाई।
ता की कृपा सब विधि होई सहाय॥
जो मन लगाकर शिव चालीसा पढ़ता है, उस पर आपकी कृपा सदैव बनी रहती है।

18. संत जनों के तुम रखवारे।
दीन दुखियों के तुम सहारे॥
आप संतजनों की रक्षा करते हैं और दीन-दुखियों के सहारे हैं।

19. चारों जुगों में शिवजी पूजे।
भक्तजन सदा आपके गुण गाए॥
सभी युगों में आपकी पूजा होती है और भक्त आपके गुणों का गान करते हैं।

20. भस्म धार जो तन पर करें।
वो भी भवसागर पार करें॥
जो अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं, वे भी भवसागर पार कर जाते हैं।

21. ध्यान धरें शिव को जो कोई।
सकल सिद्धि पावे वह कोई॥
जो कोई भी ध्यान लगाकर आपकी भक्ति करता है, वह सभी सिद्धियाँ प्राप्त करता है।

22. पार्वती सहित शिव अति प्यारे।
सदा करें भक्तों पर सहारे॥
पार्वतीजी के साथ आप बहुत प्रिय हैं और हमेशा अपने भक्तों का साथ देते हैं।

23. इन्द्र आदि सब देव तुम्हारे।
वंदन करें चरण तुम्हारे॥
इंद्र आदि सभी देवता भी आपके चरणों की वंदना करते हैं।

24. जो कोई चालीसा पढ़े शिव का।
भव बंधन से छूटे वह जीवा॥
जो कोई शिव चालीसा पढ़ता है, वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।

25. शिव चालीसा जो कोई पढ़े।
शिव कृपा से सब दुख हर ले॥
जो शिव चालीसा का पाठ करता है, उस पर शिव कृपा बरसती है और सभी दुख दूर हो जाते हैं।

26. जो भक्त भक्ति में लीन रहे।

शिव चालीसा का पाठ करे॥
जो भक्त पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से शिव चालीसा का पाठ करता है, वह शिवजी के कृपा पात्र बनता है।

27. भगवान शंकर के दर्शन कर।

सुख और शांति को प्राप्त करें॥
जो भगवान शंकर के दर्शन करता है, वह शांति और सुख को प्राप्त करता है।

28. जो शिव चालीसा पढ़े सो सुखी।

हर्षित जीवन उसका हर दिन।
जो व्यक्ति शिव चालीसा का पाठ करता है, वह हर दिन आनंदित और सुखी रहता है।

29. शिव की पूजा से पुण्य फल मिलते।

सब संकट दूर हो जाते॥
भगवान शिव की पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं।

30. शिवजी का नाम सदा जपें।

धन, सुख और समृद्धि पाएं॥
जो शिवजी का नाम निरंतर जपता है, उसे धन, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

31. भगवान शिव के भक्तों के संग।

सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
जो भगवान शिव के भक्तों के साथ रहते हैं, उनके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

32. शिव की पूजा से सभी पाप मिटते।

संसारिक बंधन समाप्त होते।
शिव की पूजा से सभी पापों का नाश होता है और संसारिक बंधन समाप्त हो जाते हैं।

33. जो व्यक्ति शिव के मंत्रों का जाप करता।

उसका जीवन धन्य और खुशहाल हो जाता।
जो व्यक्ति शिव के मंत्रों का जाप करता है, उसका जीवन धन्य और खुशहाल हो जाता है।

34. जो कोई शिव चालीसा का पाठ करें।

वो जीवन की कठिनाइयों से पार पा लें।
जो कोई शिव चालीसा का पाठ करता है, वह जीवन की सभी कठिनाइयों से पार पा लेता है।

35. शिव की महिमा का गान करें।

सभी कार्यों में सफलता पाए।
जो व्यक्ति शिव की महिमा का गान करता है, वह जीवन के सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।

36. जो भक्त शिव की भक्ति में रंग जाए।

उसका जीवन हर पहलु में अच्छा हो जाए।
जो व्यक्ति शिव की भक्ति में रंग जाता है, उसका जीवन हर पहलू में अच्छा हो जाता है।

37. महाकाल के भक्तों की कृपा।

सभी संकटों से उबार देती है।
महाकाल (शिव) के भक्तों की कृपा सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाती है।

38. जो शिव के चरणों में नमन करता है।

वह जीवन में सभी खुशियां पाता है।
जो व्यक्ति शिव के चरणों में नमन करता है, वह जीवन में सभी प्रकार की खुशियों का अनुभव करता है।

39. भगवान शिव के परम भक्त होते।

सभी दुखों से मुक्त होते।
जो व्यक्ति भगवान शिव का परम भक्त होता है, वह सभी दुखों से मुक्त हो जाता है।

40. शिव चालीसा का पाठ करना।

सभी प्रकार की विघ्न-बाधाओं को दूर करता है।
शिव चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार की विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं।

Shiva Chalisa in Hindi Video-


👉डाउनलोड PDF👈

Read More- Durga chalisa 

निष्कर्ष:

Shiv Chalisa PDF in Hindi with Meaning शिव चालीसा का पाठ श्रद्धा से करने पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। यदि आप भी शिव जी के भक्त हैं, तो यह PDF आपके लिए एक उपयोगी साधन है। इसे डाउनलोड करें, शेयर करें और नियमित पाठ से शिव कृपा प्राप्त करें।


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.