योगिनी एकादशी व्रत कथा | Yogini Ekadashi Vrat Katha in Hindi | आज की एकादशी व्रत कथा-हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। हर माह दो एकादशी आती हैं, और योगिनी एकादशी उनमें से एक अत्यंत पुण्यदायी व्रत है। योगिनी एकादशी व्रत का पालन करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
आज कौन सी एकादशी है? | Aj Kon Si Ekadashi Hai?
अगर आप जानना चाहते हैं आज कौन सी एकादशी है तो आपको पंचांग देखना चाहिए या ऑनलाइन तिथि देख सकते हैं। आज के दिन योगिनी एकादशी पड़ने पर विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
योगिनी एकादशी व्रत की तिथि और समय
योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि हर वर्ष बदलती रहती है। इस व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि को उचित मुहूर्त में किया जाता है।
योगिनी एकादशी व्रत का महत्व
- योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- इस व्रत से सारे रोग दूर होते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
- ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा से करता है, उसके 88 हजार पितरों का उद्धार होता है।
- योगिनी एकादशी व्रत करने से मनुष्य को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और वह सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है।
योगिनी एकादशी व्रत विधि | Yogini Ekadashi Vrat Vidhi
1. व्रत वाले दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा करें।
3. धूप, दीप, पुष्प, तिल, पंचामृत आदि से पूजन करें।
4. दिन भर उपवास रखें। अगर संभव हो तो निर्जला व्रत रखें।
5. शाम को एक बार भगवान विष्णु की कथा सुनें और एकादशी माता की आरती करें।
6. रात्रि में जागरण करें और हरि नाम का संकीर्तन करें।
7. द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवा कर व्रत का पारण करें।
योगिनी एकादशी व्रत कथा | Yogini Ekadashi Vrat Katha Today in Hindi
एक समय अलकापुरी नामक नगर में कुबेर नामक राजा राज करता था। वह भगवान शिव का परम भक्त था और प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा के लिए हेममाली नामक माली से फूल मंगवाता था। हेममाली प्रतिदिन पुष्प लाने जाता था लेकिन एक दिन वह अपनी पत्नी के प्रेम में इतना मग्न हो गया कि राजा के दरबार में पुष्प लाने जाना भूल गया।
राजा को जब इस बात का पता चला तो उसने हेममाली को श्राप दिया कि वह कोढ़ से पीड़ित हो जाएगा और वन में भटकता रहेगा। श्राप से दुखी हेममाली वन में भटकने लगा। एक दिन वह महर्षि मार्कण्डेय के आश्रम में पहुंचा और अपनी सारी पीड़ा बताई।
महर्षि मार्कण्डेय ने कहा कि तुम योगिनी एकादशी का व्रत करो, इससे तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे और तुम रोग मुक्त हो जाओगे। हेममाली ने पूरे विधि-विधान से योगिनी एकादशी का व्रत किया और उसके सभी रोग समाप्त हो गए। वह पूर्ववत सुंदर और स्वस्थ हो गया।
इस प्रकार, जो भी श्रद्धा से इस व्रत को करता है, उसके समस्त दुख समाप्त हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
एकादशी व्रत कथा लिरिक्स | Ekadashi Vrat Katha Lyrics
🌸 योगिनी एकादशी व्रत कथा लिरिक्स | Yogini Ekadashi Vrat Katha Lyrics in Hindi 🌸
योगिनी एकादशी व्रत कथा (काव्य शैली में लिरिक्स रूप में)
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी आई,योगिनी व्रत की महिमा सबने गाई।अलकापुरी में कुबेर था राजा,शिव पूजा करता, सच्चा उपासक राजा।हेममाली माली पुष्प लाता,भगवान शिव को वो चढ़ाता।एक दिन वह पत्नी में हुआ लीन,राजा की सेवा भूला वह दिन।कुबेर ने श्राप दिया उसको भारी,कोढ़ हुआ, पीड़ा थी सारी।वन में भटका, दुख से था रोता,मार्कण्डेय ऋषि ने उसको संजोया।ऋषि ने कहा योगिनी व्रत को करो,भगवान विष्णु की भक्ति में डूब जाओ।हेममाली ने विधिपूर्वक व्रत निभाया,रोग मिटे, सुख-संपत्ति पाया।जो योगिनी एकादशी व्रत मन से करे,भगवान विष्णु का आशीर्वाद सदा उसे मिले।88 हजार पितरों का उद्धार हो जाता,मनुष्य के जीवन से पाप मिट जाता।भक्तिभाव से जो कथा को सुनता है,मोक्ष के पथ पर वही बढ़ता है।
एकादशी माता की आरती | Ekadashi Mata Ki Aarti
आरती एकादशी माता की
(पूर्ण हिंदी में)
जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।आप ही पालन करती, संकट हरती माता॥द्वादशी को पारण, सुख-समृद्धि लाती।आपके व्रत से माता, हर विपदा जाती॥जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।विष्णु जी की प्यारी, तुम वर देने वाली।भक्तों के कष्ट हरती, मन को सुख देने वाली॥फल, फूल, जल, नैवेद्य, मैं तुझको अर्पित करता।हे एकादशी माता, कृपा मुझ पर बरसा॥जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।भक्तों की रक्षा करती, पाप सब दूर भगाती।जो तुझे सच्चे मन से ध्यावे, उसकी नैया पार लगाती॥जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।तुम्हारी महिमा अपरंपार, व्रत से मिलता जीवन सार।हे माता मुझको भी दो स्थान, चरणों में रहे मेरा ध्यान॥जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।
योगिनी एकादशी व्रत कथा PDF | Yogini Ekadashi Vrat Katha PDF
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FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
योगिनी एकादशी कब मनाई जाती है?
योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
योगिनी एकादशी का व्रत कैसे करना चाहिए?
इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, दिनभर उपवास रखा जाता है और रात्रि जागरण कर भगवान का भजन-कीर्तन किया जाता है।
क्या योगिनी एकादशी व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं?
हां, शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी माता की आरती कहां मिलेगी?
आप इस लेख में एकादशी माता की आरती हिंदी में पढ़ सकते हैं।
योगिनी एकादशी व्रत कथा PDF कैसे डाउनलोड करें?
आप योगिनी एकादशी व्रत कथा PDF इस लेख में दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं।
निष्कर्ष
योगिनी एकादशी व्रत का पालन करने से जीवन में सुख-शांति आती है और पापों का नाश होता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियम से करने पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अगर आप आज की एकादशी व्रत कथा (Ekadashi Vrat Katha Today in Hindi) जानना चाहते हैं तो प्रतिदिन पंचांग देखना या धार्मिक पोर्टल्स से जानकारी लेना आवश्यक है।